पुरानी हवेली (कहानीकार प्रतियोगिता)
पुरानी हवेली भाग–16
बनारस चित्र रतन की उपाधि लेने के बाद सोनभद्र का ध्यान और भी चित्रकला की तरफ अग्रसर हो गया था।
वह पढ़ने में अत्यंत की मेधावी था। अपने दोनों भाइयों के बिल्कुल अलग।
उसके दोनों भाई पढ़ने में अच्छे थे लेकिन उनके अंदर ठाकुरियत कूट-कूट कर भरी हुई थी।
अपने पिता से विरासत में मिला हुआ रौबदाब बरकरार था।
सोनभद्र ही सबसे अलग थलग था।वह अपने दोनों भाईयों से छोटा भी था लेकिन उसकी सोच सबसे बहुत ही अलग थी।
ठाकुर वीरभद्र सोनभद्र को विदेश भेजना चाहते थे लेकिन सोनभद्र को बहुत ज्यादा इच्छा विदेश जाने की नहीं थी।
तब जाकर उसका नाम दक्षिण भारत के किसी प्रसिद्ध कॉलेज में लिखवा दिया।वहां भी उसने अपनी पढ़ाई के साथ चित्रकला में नाम अर्जित करने लगा।
सोनभद्र को न जाने प्रकृति से क्यों इतना अद्भुत प्रेम था, वह कुदरत के सभी दृश्यों को अपने कागजों में समेट लेना चाहता था।
कुछ कॉलेज में पढ़ते पढ़ते हुए दो साल बीत गए थे।
दशहरे के समय लंबी छुट्टियां पड़ रही थी।
सोनभद्र अपने घर आया हुआ था। दशहरे की पूजा चल रही थी ।
उस समय कुलदेवी के पूजन का भी समय होता था। फसल काटने का समय होता था। पहली फसल को देवी को चढ़ाया जाता था।
ठाकुर वीरभद्र के परिवार का नियम था कि जो परिवार का मुखिया होता था वह खेतों में जाकर पहले खेत की पूजा करता फिर पहली फसल की पूजा करता था।
उसके बाद वह फसल कटाई ,बुनाई होकर कुलदेवी के मंदिर में चढ़ाया जाता था। उसी से पूरे नवरात्रि का प्रसाद बनता था और उसे पूरे गांव में बांट दिया जाता था।
उस दिन फसल पूजा का दिन था। सोनभद्र अपने पूरे परिवार के साथ खेतों में पहुंच गया।
ठाकुर वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी नीलांजना दोनों फसल की पूजा कर रहे थे। पूरा गांव …पूरे गांव के लोग चारों तरफ आकर खड़े थे।
वीरभद्र के साथ उनके तीनों बेटे महेश भद्र, सुरेश भद्र और सोनभद्र तीनों बैठे हुए थे।
पूजा चल रही थी।
इसी गांव में हरिया नाम का एक किसान रहता था।वह ठाकुर के ही खेत में काम करता था ।ठाकुर वीरभद्र उसे महीने के हिसाब से पगार देते थे।
हरिया भी अपने पूरे परिवार के साथ ठाकुर के कुल देवी की पूजा में वहां मौजूद था। उसकी बेटी सुनैना भी वहां मौजूद थी।
वह भी लगभग 16 17 साल की थी।वह पूजा में सम्मिलित थी।
अचानक उसकी नजर कब से आंख बंद कर रहे पूजा में बैठे सोनभद्र पर पड़ गई।
भोला भाला, प्यारा,आद्वितीय रुप का मालिक-सोनभद्र!
देखते ही उसने सोनभद्र को अपना दिल दे बैठी। उसकी पहली नजर का प्यार था या इस उम्र का आकर्षण पर सुनैना अपना दिल हार गई थी…!!!
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क्रमशः
सीमा
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